एक वैध हिन्दू विवाह की संकल्पना, प्रारूप और उसके लिए आवश्यक रस्में (Concept and forms of a valid Hindu marriage, solemnization of marriage)

Share

हिन्दू विवाह के शास्त्रीय रीति के अनुसार निम्नलिखित तीन अनुष्ठान सामान्यतः सभी हिन्दुओं में मान्य है:  

  • 1. कन्यादान और पाणिग्रहण
  • 2. विवाह होम, और
  • 3. सप्तपदी।

फिर भी विभिन्न समुदायों एवं क्षेत्रों में विवाह के विभिन्न तरीकें एवं रस्म-रिवाज होते हैं। किसी भी समाज विशेष के परम्परागत तरीके से हुए विवाह को यह कानून मान्यता देता है अर्थात् विवाह के लिए किसी विशेष आयोजन या रस्म की जरूरत नहीं है। अधिकांश समुदाय में सप्तपदी को विवाह के लिए आवश्यक रस्म माना जाता है। जिन समुदायों में सप्तपदी मान्य है वहाँ सप्तपदी का सातवाँ पद पूरा होते ही विवाह सम्पन्न माना जाता है।

जिन समुदायों में इसके बजाय कोई अन्य मूल रस्म मान्य है वहाँ उसे यह अधिनियम भी मान्यता देता है।

महत्वपूर्ण मुकदमें (Case Laws)

एस नागलिंगम वर्सेज शिवागामी (2001, 7 SCC 487)

तथ्य

शिवागामी (पत्नी) और नागलिंगम (पति) की शादी 1970 में हुई। इस शादी से दोनों के तीन बच्चे हुए। पति के बुरे व्यवहार और शारीरिक प्रताड़ना से तंग आकर पत्नी अपने पिता के साथ रहने लगी। इसी बीच पति ने दूसरी शादी कर ली। पत्नी ने पति के खिलाफ आपराधिक वाद दायर किया।           

निचली अदालत ने पति को इस आधार पर बरी कर दिया कि दूसरी शादी में शादी के लिए एक अनिवार्य रस्म “सप्तपदी” नहीं किया गया था और इसलिए यह शादी विधिमान्य नहीं थी। चूँकि दूसरी शादी विधिमान्य नहीं थी इसलिए पति ने द्विविवाह का अपराध नहीं किया था।

पत्नी ने इस फैसले के विरूद्ध मद्रास हाई कोर्ट में अपील किया। हाई कोर्ट का तर्क था कि दोनों पक्षकार हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 7 में राज्य संशोधन करके जोड़ी गई धारा 7A से प्रशासित होते हैं इसलिए दूसरी शादी विधिमान्य है और पति द्विविवाह के अपराध का दोषी था। अब पति ने सुप्रिम कोर्ट में अपील किया।

विधिक प्रश्न

सुप्रिम कोर्ट के समक्ष मूल विचारणीय मुद्दा यह था कि–

क. क्या सप्तपदी ऐसा अनिवार्य रस्म है जो बिना अपवाद के सभी तरह के हिन्दू विवाहों में निभाया जाए? और

ख. क्या अपीलार्थी पति द्वारा सप्तपदी के रस्म को निभाए बिना की गई शादी मान्य है और पति भारतीय दण्ड संहिता की धरा 494 के तहत द्विविवाह के लिए दोषी है?

Read Also  आईपीसी में दण्ड से संबंधित प्रावधान- part 9

प्रेक्षण

सुप्रिम कोर्ट (न्यायमूर्ति के जी बालाकृष्णन्) ने इस मामले में निम्नलिखित तर्क दिया-

कोर्ट के अनुसार भारतीय दण्ड संहिता की धारा 494 के लागू होने के लिए निम्नलिखित अनिवार्य घटक होना चाहिए:

क. आरोपी ने पहले विवाह किया हो,

ख. दूसरे विवाह के समय पहला विवाह अस्तित्व में हो,

ग.  और दोनों विवाहों में वर एवं वधु दोनों पक्षों पर लागू वैवाहिक नियमों के अनुसार अनिवार्य रस्मों का पालन हुआ हो।

प्रस्तुत मामले में पहला और दूसरा घटक उपस्थित था अर्थात् दूसरे विवाह के समय पहला विवाह अस्तित्व में था।

सुप्रिम कोर्ट का मानना था कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 7 विवाह के लिए उस समुदाय विशेष में परम्परागत रूप से मान्य रस्मों को मान्यता देता है। सप्तपदी की रस्म सभी प्रकार के हिन्दू विवाहों के लिए अनिवार्य नहीं है। अपितु केवल उन्हीं समुदायों के लिए अनिवार्य है जहाँ परम्परागत रूप से विवाह के लिए यह अनिवार्य घटक माना जाता है।

अर्थात् समुदाय विशेष एवं क्षेत्र विशेष के व्यक्तिगत कानून वरीय होंगे। तमिलनाडू सरकार ने हिन्दू विवाह अधिनियम में संशोधन कर धारा 7A जोड़ा था। इसके अनुसार तमिलनाडू में विवाह के लिए सप्तपदी आवश्यक नहीं था। बल्कि माला एवं अँगूठी का आदान-प्रदान एवं वर द्वारा वधू को थालि (मंगलसूत्र) पहनाने और दोनों द्वारा समझे जाने वाली भाषा में विवाह की घोषणा से ही विवाह सम्पन्न माना जाता था।

निर्णय

अपीलार्थी के द्वितीय विवाह में इन रस्मों का पालन हुआ था। इसलिए यह विवाह अनिवार्य रस्मों के अनुसार हुआ था और पति धारा 494 के तहत दोषी था।

भाऊराव लोखांडे वर्सेस स्टेट ऑफ महाराष्ट्र (AIR 1965 SC 1564; (1965) 2 SCR 837)

तथ्य

भाऊराव की शादी 1956 में इंदूबाई से हुई। इंदूबाई के जीवित रहते हुए 1962 में उसने कमलाबाई से शादी कर ली। उसे भारतीय दण्ड संहिता की धारा 494 के तहत दोषी पाया गया।

सेशन कोर्ट और हाई कोर्ट में उसकी अपील खारिज हो गई। उसने सुप्रिम कोर्ट में अपील किया।

विवाद

अपीलार्थी का एकमात्र तर्क यह था कि उसका दूसरा विवाह सम्यक् रस्मों से नहीं हुआ था। इसलिए वह विवाह नहीं था और वह धारा 494 के तहत दोषी नहीं था।

जबकि अभियोजन पक्ष की दलील थी कि उस क्षेत्र में मान्य परम्पराओं के अनुसार “गंधर्व विवाह” में प्रचलित रीति-रिवाजों का इस विवाह में पालन किया गया था इसलिए दूसरा विवाह मान्य था और अपीलार्थी धारा 494 के तहत दोषी था।

Read Also  अपराध के लिए सामूहिक दायित्व क्या है?-part 2.2

विधिक प्रश्न

इस मामलें में निम्नलिखित मुद्दे विचारण के लिए न्यायालय ने तय किया–

1 द्विविवाह के अपराध के लिए अनिवार्य तत्व क्या है?

2 विवाह के लिए आवश्यक रीति या धार्मिक अनुष्ठान (solemnization of marriage) क्या है?

3 धारा 494 के तहत द्विविवाह के अपराध के लिए दूसरा विवाह दोनों पक्षों के बीच लागू होने वाले कानून के अनुरूप सम्यक् रूप से होना क्या अनिवार्य है?

प्रेक्षण

सुप्रिम कोर्ट (न्यायमूर्ति रघुबर दयाल) ने निम्नलिखित तर्कों को माना–

हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार दो हिन्दूओं के बीच हुआ विवाह वैध है अगर इसमें कुछ शर्ते पूरी हो। इनमें से एक शर्त यह है कि दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष का कोई जीवित पति या पत्नी विवाह के समय नहीं हो।

इसी अधिनियम की धारा 17 के अनुसार इस अधिनियम के लागू होने के पश्चात् किन्ही दो हिन्दुओं के बीच होने वाला ऐसा विवाह शून्य होगा यदि इस विवाह की तिथि को पति या पत्नी दोनों पक्षों में से किसी का भी जीवित पति या पत्नी हो। ऐसा विवाह होने की स्थिति में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 494 और 495 लागू होगी। 

विवाह अनुष्ठित (solemnized) होने का अर्थ है विवाह का उचित एवं सम्यक् रीति से सम्पन्न होना। यह उचित एवं सम्यक् रीति उस क्षेत्र विशेष और समुदाय विशेष में लागू नियमों, औपचारिकताओं एवं समारोहों के अनुसार होना चाहिए।

अगर विवाह इस रीति से नहीं होगा तो उसें कानून की दृष्टि में विवाह सम्पन्न होना नहीं माना जाएगा और इस विवाह के पक्ष पति और पत्नी की स्थिति नहीं पा सकेंगे।

उपर्युक्त दृष्टिकोण को अपनाते हुए कोर्ट ने निम्नलिखित निर्णय दिया कि 1962 में अपीलार्थी एवं कमलाबाई के बीच हुआ विवाह “गंधर्व विवाह” का एक रूप था जो कि महाराष्ट्र क्षेत्र में प्रचलित था।

इसमें विवाह के लिए अनिवार्य दो तत्वों– पवित्र अग्नि के समक्ष शपथ लेना और सप्तपदी, नहीं किया गया था। इस बात का कोई सबूत नहीं था कि ये दोनों रस्म इस क्षेत्र में मान्य प्रथा के अनुसार विवाह के लिए आवश्यक नहीं था।

अभियोजन पक्ष का दावा था कि इस क्षेत्र में गधर्व विवाह के प्रचलित रूप में दुल्हा और दुल्हन दोनों के लिए ललाट के स्पर्श करने से विवाह सम्पन्न होना मान लिया जाता था।

Read Also  दाम्पत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन (Restitution of Conjugal Rights) धारा 9

धारा 3 (a) के अनुसार रिवाज एवं परम्परा उस क्षेत्र में एक लम्बे समय तक सामान्य रूप से प्रचलित होने पर नियम के रूप में स्वीकार किया जाता हो, तभी उसे उस क्षेत्र या समुदाय में कानून के रूप में माना जा सकता है।

अभियोजन पक्ष इस बात को साबित नहीं कर पाया कि दुल्हा एवं दुल्हन द्वारा ललाट के स्पर्श से गंर्धव विवाह के सम्पन्न हो जाने का रिवाज इस तरह से कानून के रूप में मान्य था।

निर्णय

अतः अपीलार्थी का दूसरा विवाह विधिपूर्वक सम्पन्न होना नहीं माना जा सकता है और इसलिए वह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 494 और 495 के तहत दोषी नहीं था।

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न- क और ख द्वारा टेलीफोन पर विवाह का प्रस्ताव और उसके स्वीकरण द्वारा हुए विवाह की वैधता हिन्दू विधि के अन्तर्गत बताइए? 2010

प्रश्न- एक वैध हिन्दू विवाह के लिए कौन से अनुष्ठान का किये जाने आवश्यक हैं?

प्रश्न- एक हिन्दू विवाह के लिए वैध (valid) अनुष्ठान (solemnization) की क्या आवश्यकता है?

प्रश्न- अगर कोई विवाह कानूनी वैधता परीक्षण (legal validity test) में खरा नहीं उतरे तो भी क्या किसी विशेष उद्देश्य के लिए इसे विवाह माना जा सकता है?

     (संकेत- हाँ, जैसे बच्चों की वैधता के लिए।)

प्रश्न-  एक हिन्दू विवाह के लिए क्या आवश्यक अनुष्ठान है? कब विवाह होना सम्पन्न माना जाता है? क्या विधवा के विवाह के लिए कोई विशेष अनुष्ठान या समारोह आवश्यक है?

प्रश्न- सप्तपदी की अवधारणा की व्याख्या कीजिए। हिन्दू विधि के अनुसार किसी सीमा तक इसका सम्पन्न किया जाना अनिवार्य है?

प्रश्न- विवाह के लिए आवश्यक अनुष्ठानों की व्याख्या कीजिए।

प्रश्न- क और ख ने एक दूसरे को माला और अँगूठी पहना कर विवाह कर लिया। हिन्दू विधि के अन्तर्गत ऐसे विवाह की वैधता का परीक्षण कीजिए। 2011

प्रश्न- अशोक एवं आशा का विवाह हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार हुआ। विवाह के बाद अशोक की घनिष्ठता प्रीति से हो गई और दोनों ने विवाह करने का निर्णय किया। दिल्ली में मित्रों की उपस्थिति में केवल एक-दूसरे को माला पहना कर उन्होंने विवाह कर लिया। आशा ने उसके विरूद्ध द्विविवाह के लिए क्रिमिनल केस किया। अशोक के द्वितीय विवाह की विधिमान्यता का विधिक प्रावधानों और न्यायिक निर्णयों के प्रकाश में परीक्षण कीजिए। 2012 

30 thoughts on “एक वैध हिन्दू विवाह की संकल्पना, प्रारूप और उसके लिए आवश्यक रस्में (Concept and forms of a valid Hindu marriage, solemnization of marriage)”
  1. The other day, while I was at work, my sister stole my iPad and tested to see if it can survive a
    thirty foot drop, just so she can be a youtube sensation. My iPad is now destroyed and she has 83 views.

    I know this is totally off topic but I had to share it with someone!

  2. Excellent goods from you, man. I’ve understand your stuff previous to and you’re just too excellent.
    I really like what you’ve acquired here, really like what you’re stating and
    the way in which you say it. You make it entertaining and you still take care of to keep
    it wise. I can not wait to read much more from you. This
    is actually a wonderful site.

  3. After I originally commented I appear to have clicked the
    -Notify me when new comments are added- checkbox and now
    whenever a comment is added I recieve four emails with the exact same comment.
    There has to be an easy method you are able to remove me
    from that service? Thanks!

  4. Hi there! Someone in my Myspace group shared this website with us so I came
    to take a look. I’m definitely enjoying the information.
    I’m bookmarking and will be tweeting this to my
    followers! Exceptional blog and brilliant design and style.

  5. Hey There. I discovered your blog using msn.
    That is an extremely smartly written article. I’ll be sure to bookmark
    it and come back to read extra of your useful info. Thank
    you for the post. I will certainly return.

  6. You actually make it appear really easy together
    with your presentation however I find this matter
    to be actually one thing that I believe I’d by no means understand.
    It sort of feels too complicated and extremely large for me.
    I am having a look forward for your subsequent submit, I will try to get the dangle of it!

  7. I have been exploring for a bit for any high quality articles or weblog posts
    in this sort of space . Exploring in Yahoo I ultimately stumbled upon this site.
    Reading this information So i’m satisfied to show that I have an incredibly just right uncanny feeling I came upon just what I needed.
    I such a lot indubitably will make sure to don?t forget this site and provides it a glance regularly.

  8. Hi just wanted to give you a quick heads up and let you know a few of the pictures aren’t loading properly.
    I’m not sure why but I think its a linking
    issue. I’ve tried it in two different web browsers and both
    show the same results.

  9. Hello, Neat post. There’s a problem with your site in web explorer, may test this?

    IE nonetheless is the market leader and a good
    part of other folks will leave out your magnificent writing
    because of this problem.

  10. Ищете острых ощущений и спонтанного общения?
    https://chatruletka18.cam/ Чат рулетка — это
    уникальный формат онлайн-знакомств, который соединяет вас с абсолютно случайными людьми со
    всего мира через видеочат.
    Просто нажмите “Старт”, и система моментально подберет вам собеседника.
    Никаких анкет, фильтров или долгих поисков — только живая, непредсказуемая беседа лицом к
    лицу. Это идеальный способ попрактиковать язык, погружаясь в мир случайных, но всегда
    увлекательных встреч. Главное преимущество этого формата —
    его анонимность и полная спонтанность: вы никогда не знаете, кто окажется по ту
    сторону экрана в следующий момент.

  11. Thanks for finally talking about > एक वैध हिन्दू विवाह की संकल्पना, प्रारूप और उसके लिए आवश्यक रस्में (Concept and forms of a valid
    Hindu marriage, solemnization of marriage) – Vidhigram < Loved it!

  12. Hello, i think that i saw you visited my web site thus i came to “return the favor”.I’m
    attempting to find things to improve my web site!I suppose its
    ok to use some of your ideas!!

  13. I like what you guys are up too. This kind of clever work and exposure!
    Keep up the amazing works guys I’ve added you guys
    to my blogroll.

  14. Magnificent beat ! I wish to apprentice while you amend your
    site, how could i subscribe for a blog website? The account
    helped me a acceptable deal. I had been tiny bit acquainted of this your broadcast offered bright clear
    idea

Leave a Comment