निर्वाचन सम्बन्धी अपराधों के विषय में-अध्याय 9क

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अध्याय 9क: निर्वाचन सम्बन्धी अपराधों के विषय में
171क. “अभ्यर्थी”, “निर्वाचन अधिकार” परिभाषित
171ख. रिश्वत
171ग. निर्वाचनों में असम्यक् असर डालना
171घ. निर्वाचनों में प्रतिरूपण
171ङ. रिश्वत के लिए दण्ड
171च. निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्ड
171छ. निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन
171ज. निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदाय
171झ. निर्वाचन लेखा रखने में असफलता

सामान्य बोलचाल की भाषा में निर्वाचन अपराध का आशय है वैसा कार्य जो कानून द्वारा अमान्य है लेकिन अपनी लेकिन किसी निर्वाचन में  अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई उम्मीदवार या उसका कोई प्रतिनिधि वह कार्य करता है। यह निर्वाचन पंचायत, विधासभा, लोकसभा या किसी अन्य स्तर का हो सकता है।

लेकिन भारत के राष्ट्रपति का चुनाव इसमें शामिल नहीं है क्योंकि इसके लिए संविधान में अलग से विशेष प्रावधान किए गए हैं।   

निर्वाचन अपराध या चुनाव अपराधों के नियमन के लिए देश अलग से विशेष कानून है लेकिन इससे संबंधित कुछ अपराधों को आईपीसी के तहत भी दंडनीय बनाया गया है। इसके लिए 1920 में एक संशोधन कर इसमें अध्याय 9क जोड़ा गया।

अध्याय अध्याय 9क में संसद तथा लोक प्राधिकारियों के निर्वाचन में  रिश्वत लेने, अनुचित प्रभाव डालने, छद्म वेश धारण करने तथा अनाचार जैसे निर्वाचन अपराध को दण्डनीय बनाया गया है।

9क अनाचार के दोषी व्यक्तियों को एक विशिष्ट अवधि के लिए लोकदायित्व के पद को धारण करने से निषिद्ध करता है। इस के उपबंधों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के साथ ही पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह उसके अतिरिक्त कुछ दण्डों की व्यवस्था करता है जैसे कि धारा 171ङ और 171च। धारा 171ङ और 171च के अन्तर्गत दोषसिद्धि का परिणाम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 के अन्तर्गत अयोग्य होने के रूप में होगा।

यह अध्याय मूल रूप से इस प्रकार है:

171क. “अभ्यर्थी”, “निर्वाचन अधिकार” परिभाषित- इस अध्याय के प्रयोजन के लिए-

(क) “अभ्यर्थी” से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जो किसी निर्वाचन में अभ्यर्थी के रूप में नामनिर्दिष्ट किया गया है;

(ख) निर्वाचन अधिकार से किसी निर्वाचन में खड़े होने या खड़े न होने या अभ्यर्थना से अपना नाम वापस लेने या मत देने से विरत रहने का किसी व्यक्ति का अधिकार अभिप्रेत है।

171ख. रिश्वत- (1) जो कोई-

  • किसी व्यक्ति को इस उद्देश्य से परितोषण देता है कि वह उस व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को किसी निर्वाचन अधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्प्रेरित करे या किसी व्यक्ति को इसलिए इनाम दे कि उसने ऐसे अधिकार का प्रयोग किया है; अथवा
  • स्वयं अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई परितोषण ऐसे किसी अधिकार को प्रयोग में लाने के लिए या किसी अन्य व्यक्ति को ऐसे किसी अधिकार को प्रयोग में लाने के लिए उत्प्रेरित करने या उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करने के लिए इनाम के रूप में प्रतिगृहित करता है।
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रिश्वत का अपराध करता है:

परन्तु लोक नीति की घोषणा या लोक कार्यवाही का वचन इस धारा के अधीन अपराध न होगा।

(2) जो व्यक्ति परितोषण देने की प्रस्थापना करता है या देने को सहमत होता है, या उपाप्त करने की प्रस्थापना या प्रयत्न करता है, यह समझा जाएगा कि वह परितोषण देता है।

(3) जो व्यक्ति परितोषण अभिप्राप्त करता है या प्रतिगृहित करने को सहमत होता है या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करता है, यह समझा जाएगा कि वह परितोषण प्रतिगृहित करता है और जो व्यक्ति वह बात करने के, जिसे करने का उसका आशय नहीं है, हेतु स्वरूप या जो बात उसने नहीं की है, उसे करने कि लिए इनाम के रूप में परितोषण प्रतिगृहित करता है, यह समझा जाएगा कि उसने परितोषण को इनाम के रूप में प्रतिगृहित किया है।

171ग. निर्वाचनों में असम्यक् असर डालना- (1) जो कोई किसी निर्वाचन अधिकार के निर्बाध प्रयोग में स्वेच्छया हस्तक्षेप करता है या हस्तक्षेप करने का प्रयत्न करता हैए वह निर्वाचन में असम्यक् असर डालने का अपराध करता है।

(2) उपधारा (1) के उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जो कोई-

(क) किसी अभ्यर्थी या मतदाता को, या किसी ऐसे व्यक्ति को जिससे अभ्यर्थी या मतदाता हितबद्ध है, किसी प्रकार की क्षति करने की धमकी देता है, अथवा

(ख) किसी अभ्यर्थी या मतदाता को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करता है या उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करता है कि वह या कोई ऐसा व्यक्ति, जिससे वह हितबद्ध है, दैवी अप्रसाद या आध्यात्मिक परिनिन्दा का भाजन हो जाएगा या बना दिया जाएगा;

        यह समझा जाएगा कि वह उपधारा (1) के अन्तर्गत ऐसे अभ्यर्थी या मतदाता के निर्वाचन अधिकार के निर्बाध प्रयोग में हस्तक्षेप करता है।

(3) लोक नीति की घोषणा या लोक कार्यवाही का वचन या किसी वैध अधिकार का प्रयोग मात्र, जो किसी निर्वाचन अधिकार में हस्तक्षेप करने के आशय के बिना है, इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत हस्तक्षेप करना नहीं समझा जाएगा।

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 171घ. निर्वाचनों में प्रतिरूपण- जो कोई निर्वाचन में किसी अन्य व्यक्ति के नाम से, चाहे वह जीवित हो या मृत, या किसी कल्पित नाम से, मत-पत्र के लिए आवेदन करता या मत देता है, या ऐसे निर्वाचन में एक बार मत दे चुकने के पश्चात् उसी निर्वाचन में अपने नाम से मत-पत्र के लिए आवेदन करता है, और जो कोई किसी व्यक्ति द्वारा किसी ऐसे प्रकार से मतदान को दुष्प्रेरित करता है, उपाप्त करता है या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, वह निर्वाचन में प्रतिरूपण का अपराध करता है:

परन्तु इस धारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को लागू नहीं होगी जिसे तत्समय प्रवृत किसी विधि के अधीन मतदाता की ओर से, जहाँ तक वह ऐसे मतदाता की ओर से परोक्षी के रूप में मत देता है, परोक्षी के रूप में मत देने के लिए प्राधिकृत किया गया है।

171ङ. रिश्वत के लिए दण्ड- जो कोई रिश्वत का अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा;

परन्तु सत्कार के रूप में रिश्वत केवल जुर्माने से ही दण्डित की जायेगी।

स्पष्टीकरण- “सत्कार”, से रिश्वत का वह रूप अभिप्रेत है जो परितोषण, खाद्य, पेय, मनोरंजन या रसद के रूप में है।

171च. निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्ड- जो  कोई किसी निर्वाचन में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण का अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनो से, दण्डित किया जाएगा।

171छ. निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन- जो कोई निर्वाचन के परिणाम पर प्रभाव डालने के आशय से किसी अभ्यर्थी के वैयक्तिक शील या आचरण के सम्बन्ध में, तथ्य का कथन तात्पर्यित होने वाला कोई ऐसा कथन करेगा या प्रकाशित करेगा, जो मिथ्या है, और जिसका मिथ्या होना वह जानता या विश्वास करता है अथवा जिसके सत्य होने का वह विश्वास नहीं करता है वह जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

[इस धारा के तहत अपराध गठित होने के लिए अनिवार्य तत्व हैं:

  • निर्वाचन होने वाला हो;
  • अभियुक्त ने कोई ऐसा कथन किया हो या प्रकाशित किया हो जो किसी अभ्यर्थी के वैयक्तिक शील या आचरण के सम्बन्ध में हो;
  • ऐसे कथन या प्रकाशन के संबंध में;
  • अभियुक्त यह जानता है या विश्वास करता है कि वह मिथ्या है, या
  • उसके सत्य होने वह विश्वास नहीं करता है।]
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171ज. निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदाय- जो कोई किसी अभ्यर्थी के साधारण या विशेष लिखित अधिकार के बिना ऐसे अभ्यर्थी का निर्वाचन अग्रसर करने या निर्वाचन करा देने के लिए कोई सार्वजनिक सभा करने में या किसी विज्ञापन, परिपत्र या प्रकाशन पर या किसी भी अन्य ढ़ंग से व्यय करेगा या करना प्राधिकृत करेगा, वह जुर्माने से, जो पाँच सौ रूपये तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा।

परन्तु यदि कोई व्यक्ति, जिसने प्राधिकार के बिना कोई ऐसे व्यय किए हों जो कुल मिलाकर दस रूपये से अधिक न हो, उस तारीख से जिस तारीख को ऐसे व्यय किए गए हों, दस दिन के भीतर उस अभ्यर्थी का लिखित अनुमोदन अभिप्राप्त कर ले, तो यह समझा जाएगा कि उसने ऐसे व्यय उस अभ्यर्थी के प्राधिकार से किए हैं। 171झ. निर्वाचन लेखा रखने में असफलता- जो कोई किसी तत्समय प्रवृत्त विधि द्वारा या विधि का बल रखने वाले किसी नियम द्वारा इसके लिए अपेक्षित होते हुए कि वह निर्वाचन में या निर्वाचन के संबंध में किए गए व्ययों का लेखा रखे, ऐसा लेखा रखने में असफल रहेगा तो, वह जुर्माने से, जो पाँच सौ रूपये तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा।

[इस अध्याय में संसद तथा लोक प्राधिकारियों के निर्वाचन में  रिश्वत लेने, अनुचित प्रभाव डालने, छद्म वेश धारण करने तथा अनाचार को दण्डनीय बनाया गया है। यह अध्याय अनाचार के दोषी व्यक्तियों को एक विशिष्ट अवधि के लिए लोकदायित्व के पद को धारण करने से निषिद्ध करता है। इस अध्याय के उपबंधों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के साथ ही पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह उसके अतिरिक्त कुछ दण्डों की व्यवस्था करता है जैसे कि धारा 171ङ और 171च। धारा 171ङ और 171च के अन्तर्गत दोषसिद्धि का परिणाम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 के अन्तर्गत अयोग्य होने के रूप में होगा।]

अपराधदण्ड
अभ्यर्थी और निर्वाचन अधिकार की परिभाषा (धारा 171क)
रिश्वत की परिभाषा (धारा 171ख)एक वर्ष तक का कठोर या सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों (धारा 171ङ)
निर्वाचनों में असम्यक् असर डालना- परिभाषा (धारा 171ग)एक वर्ष तक का कठोर या सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों (धारा 171च)
निर्वाचनों में प्रतिरूपण- परिभाषा (धारा 171घ)एक वर्ष तक का कठोर या सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों (धारा 171च)
निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन (धारा 171 घ)जुर्माना (धारा 171 छ)
निर्वाचन के सिलसिले अवैध संदाय (धारा 171 ज)500 रू तक जुर्माना(धारा 171 ज)
निर्वाचन लेखा रखने में असफलता (धारा 171 झ)500 रू तक जुर्माना (धारा 171 झ)

निर्वाचन अपराध के लिए उपर्युक्त श्रेणी और इसके लिए दंड भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में किए गए हैं। ये उनके अतिरिक्त हैं जो जनपतिनिधित्व अधिनियम और संबंधित अन्य अधिनियमों  द्वारा किए गए हैं।

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