लोक सेवकों द्वारा या उनसे सम्बन्धित अपराधों के विषय में- अध्याय 10
161से 165क तक, निरसित 166. लोक सेवक, जो किसी व्यक्ति को क्षति कारित करने के आशय से विधि की अवज्ञा करता है 166क. लोक सेवक, जो किसी विधि के अधीन के निदेश की अवज्ञा करता है। 166ख. पीड़ित का उपचार न करने के लिए दंड 167. लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है 168. लोक सेवक, जो विधिविरूद्ध रूप से व्यापार में लगता है 169. लोक सेवक, जो विधिविरूद्ध रूप से संपत्तिक क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है 170. लोक सेवक का प्रतिरूपण 171. कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या टोकन धारण करना |
आईपीसी में लोकसेवक से संबंधित अपराधों के विषया में विशेष रूप से उपबंध है। इन अपराधों में इनके द्वारा किए गए या इनके प्रति किए गए दोनों तरह के अपराध शामिल हैं। अध्याय 10 में जहाँ लोकसेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमानना को दंडनीय बनाया गया है, वहीं अध्याय 9 में लोकसेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराधों के विषय में उपबंध है।
लोक सेवक (civil servant) प्रशासन व्यवस्था के एक प्रमुख आधार होते हैं। ये सरकार और जनता के बीच की कड़ी होते हैं। इसलिए यह जरूरी होता है कि ये बिना किसी दवाब के उचित स्वतंत्रता से अपना काम कर सके, साथ भी यह भी जरूरी है कि वे किसी भी भ्रष्ट या विधिविरुद्ध आचरण से दूर रहे। इसलिए कानून में इस संबंध में विशेष उपबंध किए गए हैं।
आईपीसी का चैप्टर 9 (शीर्षक “लोकसेवकों द्वारा या उनसे सम्बन्धित अपराधों के विषय में”) कुछ ऐसे अपराधों के लिए व्यवस्था करता है जो एक लोक सेवक से संबंधित (जैसे किसी लोक सेवक का रूप बना कर कोई कपट करना) है या जो एक लोक सेवक द्वारा किया जा सकता है। ये अपराध उसके पद से संबंधित कार्य के बारे में है, अन्य सामान्य अपराध के लिए नहीं।
आईपीसी के चैप्टर 9 में जिन अपराधों को शामिल किया गया है, उन्हे संक्षेप में इस सारणी (table) से समझा जा सकता है:
161 से 165क- तक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (1988 के अधिनियम संख्या 49) की धारा 31 द्वारा निरसित।
166. लोक सेवक, जो किसी व्यक्ति को क्षति कारित करने के आशय से विधि की अवज्ञा करता है-जो कोई लोक सेवक होते हुए विधि के किसी ऐसे निदेश की जो उस ढ़ंग के बारे में हो जिस ढ़ंग से लोक सेवक के नाते उसे आचरण करना है, जानते हुए अवज्ञा इस आशय से, या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसी अवज्ञा में वह किसी व्यक्ति को क्षति कारित करेगा, वह सादा कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
दृष्टांत
क, जो एक ऑफिसर है, और न्यायालय द्वारा य के पक्ष में दी गई डिक्री की तुष्टि के लिए निष्पादन में संपत्ति लेने के लिए विधि द्वारा निदेशित है, यह ज्ञान रखते हुए कि यह सम्भाव्य है कि तद्द्वारा वह य को क्षति कारित करेगा, जानते हुए विधि के उस निदेश की अवज्ञा करता है। क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
[इस धारा के अधीन अपराध गठित करने के लिए अनिवार्य अवयव निम्नलिखित हैं:
- अभियुक्त लोकसेवक या पूर्व लोक सेवक हो अर्थात् अपराध के समय वह लोकसेवक हो;
- उसने जानते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए विधि या विधि के किसी निदेश की अवज्ञा की हो;
- वह जानता हो या आशय रखता हो कि इस अवज्ञा से किसी व्यक्ति को क्षति कारित होगा।
यह धारा तभी लागू होगी यदि एक लोक सेवक ने किसी व्यक्ति को क्षति कारित करने के उद्देश्य से जानबूझ कर विधि के स्पष्ट निदेश की अवज्ञा की हो। यह धारा किसी व्यक्ति को क्षति कारित करने के उद्देश्य से सांविधिक दायित्व को भंग किए जाने की प्रकल्पना करती है। पर केवल विभागीय नियमों का उल्लंघन जिसे विधि की शक्ति प्राप्त नहीं है, इस धारा के अन्तर्गत नहीं आता है।]
166क. लोक सेवक, जो विधि के अधीन के निदेश की अवज्ञा करता है- जो कोई लोक सेवक होते हुए-
(क) विधि के किसी ऐसे निदेश की, जो उसको किसी अपराध या किसी अन्य मामले में अन्वेषण के प्रयोजन के लिएए किसी व्यक्ति की किसी स्थान पर उपस्थिति की अपेक्षा किए जाने से प्रतिषिद्ध करता है, जानते हुए अवज्ञा करता है; या
(ख) किसी ऐसी रीति को, जिसमें वह ऐसा अन्वेषण करेगा, विनियमित करने वाली विधि के किसी अन्य निदेश की, किसी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए, जानते हुए अवज्ञा करता है, या
(ग) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 154 की उपधारा (1) के अधीन और विशिष्टतया धारा 326क, धारा 326ख, धारा 354, धारा 354ख, धारा 370, धारा 370क, धारा 376, धारा 376क, धारा 376ख, धारा 376ग, धारा 376घ, धारा 376ङ या धारा 509 के अधीन दण्डनीय संज्ञेय अपराध के संबंध में उसे दी गई किसी सूचना को लेखबद्ध करने में असफल रहता है।
वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
166ख. पीड़ित का उपचार न करने के लिए दण्ड– जो कोई ऐसे किसी लोक या प्राइवेट अस्पताल का, चाहे वह केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा चलाया जा रहा हो, भारसाधक होते हुए दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 357ग के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
167. लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है- जो कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना या अनुवाद ऐसे प्रकार से जिसे वह जानता हो या विश्वास करता हो कि अशुद्ध है, इस आशय से, या सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि तद्द्वारा वह किसी व्यक्ति को क्षति कारित करे, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
[इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए निम्नलिखित अवयवों की उपस्थिति अनिवार्य है:
- अभियुक्त लोकसेवक हो;
- वह किसी अशुद्ध दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना या अनुवाद करे;
- वह जानता हो या विश्वास करता हो कि यह रचना या अनुवाद अशुद्ध है;
- ऐसी रचना या अनुवाद वह लोकसेवक के नाते करे;
- वह ऐसा यह आशय रखते हुए करे या यह सम्भाव्य जानते हुए करे कि इससे किसी व्यक्ति को क्षति कारित करे।]
168. लोक सेवक, जो विधिविरूद्ध रूप से व्यापार में लगता है- जो कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते इस बात के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए कि वह व्यापार में न लगे, व्यापार में लगेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
169. लोक सेवक, जो विधिविरूद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है- जो कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते इस बात के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए कि वह अमुक संपत्ति को न तो क्रय करे और न उसके लिए बोली लगाए, या तो अपने निज के नाम से, या किसी दूसरे के नाम से, अथवा दूसरे के साथ संयुक्त रूप से, या अंशों में उस संपत्ति को क्रय करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा, और यदि वह संपत्ति क्रय कर ली गई है, तो वह अधिकृत कर ली जाएगी।
[इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए निम्नलिखित अवयवों की उपस्थिति अनिवार्य है:
- अभियुक्त लोकसेवक हो;
- वह वैध रूप से इस बात के लिए आबद्ध हो कि वह अमुक संपत्ति नहीं खरीदेगा या उसके लिए बोली लगाएगा और आबद्ध वह लोकसेवक होने के नाते हो;
- उसने ऐसी कोई संपत्ति या तो स्वयं के नाम से या किसी अन्य के नाम से या संयुक्त रूप से या अंशों में किसी तरह से खरीदा हो या उसके लिए बोली लगाया हो।]
170. लोक सेवक का प्रतिरूपण- जो कोई किसी विशिष्ट पद को लोक सेवक के नाते धारण करने का अपदेश यह जानते हुए करेगा कि वह ऐसा पद धारण नहीं करता या ऐसा पद धारण करने वाले किसी अन्य व्यक्ति का छद्म प्रतिरूपण करेगाा और ऐसे बनावटी रूप में ऐसे पदाभास से कोई कार्य करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
[इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए निम्नलिखित अवयवों की उपस्थिति अनिवार्य है:
- जो कोई व्यक्ति;
- यह जानते हुए कि वह अमुक पद को लोक सेवक के नाते धारण नहीं करता है, उस पद को धारण करने का बहाना करता है;
- उस पद को धारण करने वाले व्यक्ति का छद्म रूप धारण करता है;
- ऐसा बनावटी रूप धारण कर वह पदाभास से कोई कार्य करता है या करने का प्रयत्न करता है।]
171. कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या टोकन धारण करना- जो कोई लोक सेवकों के किसी खास वर्ग का न होते हुए, इस आशय से कि यह विश्वास किया जाएए या इस ज्ञान से कि सम्भाव्य है कि यह विश्वास किया जाए कि वह लोक सेवकों के उस वर्ग का है, लोक सेवकों के उस वर्ग द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक के सदृश पोशाक पहनेगा या टोकन धारण करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से जो दो सौ रूपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
[इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए निम्नलिखित अवयवों की उपस्थिति अनिवार्य है:
- अभियुक्त लोकसेवक के सदृश पोशाक पहनेगा या टोकन धारण करेगा (केवल पोशाक ले जाना या टोकन रखना इस धारा के तहत अपराध नहीं हैं बल्कि उनका प्रदर्शन करना अपराध है);
- वह लोक सेवक के उस वर्ग का सदस्य नहीं है जिसका पोशाक या टोकन उसने धारण किया है;
- ऐसा वह इस आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि वह लोकसेवक के उस वर्ग का है (इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह ऐसे लोकसेवक के नाते कोई कार्य करे या करने का प्रयत्न करे।)
धारा | अपराध | अपराध के अवयव | दण्ड |
166 | लोक सेवक द्वारा विधि की अवज्ञा | अभियुक्त लोकसेवक या पूर्व लोक सेवक हो अर्थात अपराध के समय वह लोक सेवक हो; उसने जानते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए विधि या विधि के किसी निदेश की अवज्ञा की हो;वह जानता हो या आशय रखता हो कि इस अवज्ञा से किसी व्यक्ति को क्षति कारित होगा। | एक वर्ष तक के सादा कारावास, या जुर्माना या दोनों |
166क | लोक सेवक द्वारा विधि के निदेश की अवज्ञा | 166क और 166ख दोनों धाराएँ दण्ड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013 (2013 का 13) की धारा 3 द्वारा संहिता में अन्तःस्थापित किया गया है जो कि 3 फरवरी, 2013 से लागू है | न्यूनतम छः माह से अधिकतम दो वर्ष तक के कठोर कारावास और जुर्माना |
166ख | पीड़ित का उपचार न करना | – | एक वर्ष तक कारावास, या जुर्माना, या दोनों |
167 | लोक सेवक द्वारा क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचना | अभियुक्त लोक सेवक हो; वह किसी अशुद्ध दस्तावेज या अभिलेख की रचना या अनुवाद करें;वह जानता हो या विश्वास करता हो कि यह रचना या अनुवाद अशुद्ध हैऐसी रचना या अनुवाद वह लोक सेवक के नाते कर;वह ऐसा यह आशय रखते हुए करे या यह सम्भाव्य जानते हुए करे कि इससे किसी व्यक्ति को क्षति कारित करे। | तीन वर्ष तक के सादा या कठोर कारावास, या जुर्माना, या दोनों |
168 | लोक सेवक द्वारा विधिविरूद्ध व्यापार करना | एक वर्ष तक के सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों | |
169 | लोक सेवक द्वारा विधिविरूद्ध रूप से संपत्ति क्रय करना या उसके लिये बोली लगाना | अभियुक्त लोक सेवक हो; वह वैध रूप से इस बात के लिए आबद्ध हो कि वह अमुक संपत्ति नहीं खरीदेगा या उसके लिए बोली लगाएगा और आबद्ध वह लोकसेवक होने के नाते हो;उसने ऐसी कोई संपत्ति या तो स्वयं के नाम से या किसी अन्य के नाम से या संयुक्त रूप से या अंशों में किसी तरह से खरीदा हो या उसके लिए बोली लगाया हो। | दो वर्ष तक के सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों |
170 | लोक सेवक का प्रतिरूपण | (1) जो कोई व्यक्ति, (a) यह जानते हुए कि वह अमुक पद को लोक सेवक के नाते धारण नहीं करता है, उस पद को धारण करने का बहाना करता है, (b) उस पद को धारण करने वाले व्यक्ति का छद्म रूप धारण करता है, (2) ऐसा बनावटी रूप धारण कर वह पदाभास से कोई कार्य करता है या करने का प्रयत्न करता है। | दो वर्ष तक के सादा या कठोर कारावास, या जुर्माना, या दोनों |
171 | कपटपूर्ण आशय से लोकसेवक के उपयोग की पोशाक या टोकन धारण करना | (1) अभियुक्त लोकसेवक के सदृश पोशाक पहनेगा या टोकन धारण करेगा (केवल पोशाक ले जाना या टोकन रखना इस धारा के तहत अपराध नहीं हैं बल्कि उनका प्रदर्शन करना अपराध है) (2) वह लोक सेवक के उस वर्ग का सदस्य नहीं है जिसका पोशाक या टोकन उसने धारण किया है, ऐसा वह इस आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि वह लोकसेवक के उस वर्ग का है (इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह ऐसे लोकसेवक के नाते कोई कार्य करे या करने का प्रयत्न करे।) | तीन माह तक को कठोर या सादा कारावास, या दो सौ रूपये तक का जुर्माना, या दोनों |
166 | लोक सेवक द्वारा विधि के निदेश की अवज्ञा | 166क और 166ख दोनों धाराएँ दण्ड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013 (2013 का 13) की धारा 3 द्वारा संहिता में अन्तःस्थापित किया गया है जो कि 3 फरवरी, 2013 से लागू है | न्यूनतम छः माह से अधिकतम दो वर्ष तक के कठोर कारावास और जुर्माना |
166 | पीड़ित का उपचार न करना | – | एक वर्ष तक कारावास, या जुर्माना, या दोनों |
167 | लोक सेवक द्वारा क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचना | 1. अभियुक्त लोकसेवक हो; 2.वह किसी अशुद्ध दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना या अनुवाद करे; 3.वह जानता हो या विश्वास करता हो कि यह रचना या अनुवाद अशुद्ध है; 4.ऐसी रचना या अनुवाद वह लोकसेवक के नाते करे; 5.वह ऐसा यह आशय रखते हुए करे या यह सम्भाव्य जानते हुए करे कि इससे किसी व्यक्ति को क्षति कारित करे। | तीन वर्ष तक के सादा या कठोर कारावास, या जुर्माना, या दोनों |
168 | लोक सेवक द्वारा विधिविरूद्ध व्यापार करना | – | एक वर्ष तक के सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों |
169 | लोक सेवक द्वारा विधिविरूद्ध रूप से संपत्ति क्रय करना या उसके लिये बोली लगाना | 1.अभियुक्त लोकसेवक हो; 2.वह वैध रूप से इस बात के लिए आबद्ध हो कि वह अमुक सम्पत्ति नहीं खरीदेगा या उसके लिए बोली लगाएगा और आबद्ध वह लोकसेवक होने के नाते हो; 3.उसने ऐसी कोई सम्पत्ति या तो स्वयं के नाम से या किसी अन्य के नाम से या संयुक्त रूप से या अंशों में किसी तरह से खरीदा हो या उसके लिए बोली लगाया हो। | दो वर्ष तक के सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों |
170 | लोक सेवक का प्रतिरूपण | 1.जो कोई व्यक्ति: i.यह जानते हुए कि वह अमुक पद को लोक सेवक के नाते धारण नहीं करता है; ii.उस पद को धारण करने का बहाना करता है; Iii. उस पद को धारण करने वाले व्यक्ति का छद्म रूप धारण करता है; 2.ऐसा बनावटी रूप धारण कर वह पदाभास से कोई कार्य करता है या करने का प्रयत्न करता है। | दो वर्ष तक के सादा या कठोर कारावास, या जुर्माना, या दोनों |
171 | कपटपूर्ण आशय से लोकसेवक के उपयोग की पोशाक या टोकन धारण करना | अभियुक्त लोकसेवक के सदृश पोशाक पहनेगा या टोकन धारण करेगा; (केवल पोशाक ले जाना या टोकन रखना इस धारा के तहत अपराध नहीं हैं बल्कि उनका प्रदर्शन करना अपराध है) वह लोक सेवक के उस वर्ग का सदस्य नहीं है जिसका पोशाक या टोकन उसने धारण किया है; ऐसा वह इस आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि वह लोकसेवक के उस वर्ग का है (इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह ऐसे लोकसेवक के नाते कोई कार्य करे या करने का प्रयत्न करे।) | तीन माह तक को कठोर या सादा कारावास, या दो सौ रूपये तक का जुर्माना, या दोनों |
166. लोक सेवक, जो किसी व्यक्ति को क्षति कारित करने के आशय से विधि की अवज्ञा करता है- जो कोई लोक सेवक होते हुए विधि के किसी ऐसे निदेश की जो उस ढ़ंग के बारे में हो जिस ढ़ंग से लोक सेवक के नाते उसे आचरण करना है, जानते हुए अवज्ञा इस आशय से, या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसी अवज्ञा में वह किसी व्यक्ति को क्षति कारित करेगा, वह सादा कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
दृष्टांत
क, जो एक ऑफिसर है, और न्यायालय द्वारा य के पक्ष में दी गई डिक्री की तुष्टि के लिए निष्पादन में सम्पत्ति लेने के लिए विधि द्वारा निदेशित है, यह ज्ञान रखते हुए कि यह सम्भाव्य है कि तद्द्वारा वह य को क्षति कारित करेगा, जानते हुए विधि के उस निदेश की अवज्ञा करता है।
क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
[टिप्पणी– इस धारा के अधीन अपराध गठित करने के लिए अनिवार्य अवयव निम्नलिखित हैं:
- अभियुक्त लोकसेवक या पूर्व लोक सेवक हो अर्थात् अपराध के समय वह लोकसेवक हो;
- उसने जानते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए विधि या विधि के किसी निदेश की अवज्ञा की हो;
- वह जानता हो या आशय रखता हो कि इस अवज्ञा से किसी व्यक्ति को क्षति कारित होगा।
यह धारा तभी लागू होगी यदि एक लोक सेवक ने किसी व्यक्ति को क्षति कारित करने के उद्देश्य से जानबूझ कर विधि के स्पष्ट निदेश की अवज्ञा की हो। यह धारा किसी व्यक्ति को क्षति कारित करने के उद्देश्य से सांविधिक दायित्व को भंग किए जाने की प्रकल्पना करती है। पर केवल विभागीय नियमों का उल्लंघन जिसे विधि की शक्ति प्राप्त नहीं है, इस धारा के अन्तर्गत नहीं आता है।
166क. लोक सेवक, जो विधि के अधीन के निदेश की अवज्ञा करता है- जो कोई लोक सेवक होते हुए-
(क). विधि के किसी ऐसे निदेश की, जो उसको किसी अपराध या किसी अन्य मामले में अन्वेषण के प्रयोजन के लिए, किसी व्यक्ति की किसी स्थान पर उपस्थिति की अपेक्षा किए जाने से प्रतिषिद्ध करता है, जानते हुए अवज्ञा करता है; या
(ख). किसी ऐसी रीति को, जिसमें वह ऐसा अन्वेषण करेगा, विनियमित करने वाली विधि के किसी अन्य निदेश की, किसी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए, जानते हुए अवज्ञा करता है; या
(ग). दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 154 की उपधारा (1) के अधीन और विशिष्टतया 326क, धारा 326ख, धारा 354, धारा 354ख, धारा 370, धारा 370क, धारा 376, धारा 376क, धारा 376ख, धारा 376ग, धारा 376घ, धारा 376ङ या धारा 509 के अधीन दण्डनीय संज्ञेय अपराध के संबंध में उसे दी गई किसी सूचना को लेखबद्ध करने में असफल रहता है।
वह कठोर कारावास से जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
166ख. पीड़ित का उपचार न करने के लिए दण्ड- जो कोई ऐसे किसी लोक या प्राइवेट अस्पताल का, चाहे वह केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा चलाया जा रहा हो, भारसाधक होते हुए दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 357ग के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों सेए दण्डित किया जाएगा।
167. लोकसेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है- जो कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना या अनुवाद ऐसे प्रकार से जिसे वह जानता हो या विश्वास करता हो कि अशुद्ध है, इस आशय से, या सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि तद्द्वारा वह किसी व्यक्ति को क्षति कारित करे,
वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
[टिप्पणी– इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए निम्नलिखित अवयवों की उपस्थिति अनिवार्य है:
- अभियुक्त लोकसेवक हो;
- वह किसी अशुद्ध दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना या अनुवाद करे;
- वह जानता हो या विश्वास करता हो कि यह रचना या अनुवाद अशुद्ध है;
- ऐसी रचना या अनुवाद वह लोकसेवक के नाते करे;
- वह ऐसा यह आशय रखते हुए करे या यह सम्भाव्य जानते हुए करे कि इससे किसी व्यक्ति को क्षति कारित करे।]
166. लोकसेवक, जो विधिविरूद्ध रूप से व्यापार में लगता है- जो कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते इस बात के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए कि वह व्यापार में न लगे, व्यापार में लगेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
167. लोक सेवक, जो विधिविरूद्ध रूप से सम्पत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है- कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते इस बात के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए कि वह अमुक सम्पत्ति को न तो क्रय करे और न उसके लिए बोली लगाए, या तो अपने निज के नाम से, या किसी दूसरे के नाम से, अथवा दूसरे के साथ संयुक्त रूप से,
या अंशों में उस सम्पत्ति को क्रय करेगा या करने का प्रयत्न करेगा,
वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा, और यदि वह सम्पत्ति क्रय कर ली गई है, तो वह अधिकृत कर ली जाएगी।
[टिप्पणी– इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए निम्नलिखित अवयवों की उपस्थिति अनिवार्य है:
- अभियुक्त लोकसेवक हो;
- वह वैध रूप से इस बात के लिए आबद्ध हो कि वह अमुक सम्पत्ति नहीं खरीदेगा या उसके लिए बोली लगाएगा और आबद्ध वह लोकसेवक होने के नाते हो;
- उसने ऐसी कोई सम्पत्ति या तो स्वयं के नाम से या किसी अन्य के नाम से या संयुक्त रूप से या अंशों में किसी तरह से खरीदा हो या उसके लिए बोली लगाया हो।]
168. लोक सेवक का प्रतिरूपण- जो कोई किसी विशिष्ट पद को लोक सेवक के नाते धारण करने का अपदेश यह जानते हुए करेगा कि वह ऐसा पद धारण नहीं करता या ऐसा पद धारण करने वाले किसी अन्य व्यक्ति का छद्म प्रतिरूपण करेगाा
और ऐसे बनावटी रूप में ऐसे पदाभास से कोई कार्य करेगा या करने का प्रयत्न करेगा,
वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
[टिप्पणी– इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए निम्नलिखित अवयवों की उपस्थिति अनिवार्य है:
- जो कोई व्यक्ति;
- यह जानते हुए कि वह अमुक पद को लोक सेवक के नाते धारण नहीं करता है, उस पद को धारण करने का बहाना करता है;
- उस पद को धारण करने वाले व्यक्ति का छद्म रूप धारण करता है;
- ऐसा बनावटी रूप धारण कर वह पदाभास से कोई कार्य करता है या करने का प्रयत्न करता है।]
169. कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या टोकन धारण करना- जो कोई लोक सेवकों के किसी खास वर्ग का न होते हुए, इस आशय से कि यह विश्वास किया जाए, या इस ज्ञान से कि सम्भाव्य है कि यह विश्वास किया जाए कि वह लोक सेवकों के उस वर्ग का है,
लोक सेवकों के उस वर्ग द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक के सदृश पोशाक पहनेगा या टोकन धारण करेगा,
वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से जो दो सौ रूपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
[टिप्पणी– इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए निम्नलिखित अवयवों की उपस्थिति अनिवार्य है:
- अभियुक्त लोकसेवक के सदृश पोशाक पहनेगा या टोकन धारण करेगा; (केवल पोशाक ले जाना या टोकन रखना इस धारा के तहत अपराध नहीं हैं बल्कि उनका प्रदर्शन करना अपराध है)
- वह लोक सेवक के उस वर्ग का सदस्य नहीं है जिसका पोशाक या टोकन उसने धारण किया है;
- ऐसा वह इस आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि वह लोकसेवक के उस वर्ग का है; (इस धारा के तहत अपराध गठित करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह ऐसे लोकसेवक के नाते कोई कार्य करे या करने
3 thoughts on “लोक सेवकों द्वारा या उनसे सम्बन्धित अपराधों के विषय में- अध्याय 10”
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