सिक्कों और सरकारी स्टाम्पों से सम्बन्धित अपराधों के विषय में (सेक्शन 230-263क)- अध्याय 12
166. “सिक्का” की परिभाषा- सिक्का, तत्समय धन के रूप में उपयोग में लाई जा रही और इस प्रकार उपयोग में लाए जाने के लिए किसी राज्य या सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न शक्ति के प्राधिकार द्वारा स्टाम्पित और प्रचलित धातु है।
भारतीय सिक्का- भारतीय सिक्का धन के रूप में उपयोग में लाए जाने के लिए भारत सरकार के प्राधिकार द्वारा स्टाम्ति और प्रचलित धातु है, और इस प्रकार स्टाम्पित और प्रचलित धातु इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए भारतीय सिक्का बनी रहेगी, यद्यपि धन के रूप में उसका उपयोग में लाया जाना बन्द हो गया हो।
दृष्टांत
(क) कौड़ियाँ सिक्के नहीं है।
(ख) अस्टाम्पित तांबे के टुकड़े, यद्यपि धन के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं, सिक्के नहीं है।
(ग) पदक सिक्के नहीं हैं, क्योंकि वे धन के रूप में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित नहीं है।
(घ) जिस सिक्के का नाम कम्पनी रूपया है, वह भारतीय सिक्का है।
(ङ) “फरूखाबादी रूपया” जो धन के रूप में भारत सरकार के प्राधिकार के अधीन पहले कभी उपयोग में लाया जाता था, भारतीय सिक्का है, यद्यपि वह अब इस प्रकार उपयोग में नहीं लाया जाता है।
167. सिक्के का कूटकरण- जो कोई सिक्के का कूटकरण करेगा या जानते हुए सिक्के के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- जो कोई व्यक्ति असली सिक्के को किसी भिन्न सिक्के के जैसा दिखलाई देने वाला इस आशय से बनाता है कि प्रवंचना की जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए बनाता है कि एतद्द्वारा प्रवंचना की जाएगी, वह यह अपराध करता है।
168. भारतीय सिक्के का कूटकरण- जो कोई भारतीय सिक्के का कूटकरण करेगा या जानते हुए भारतीय सिक्के के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
169. सिक्के का कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना- जो कोई डाई या उपकरण को सिक्के के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, बनाएगा या सुधारेगा, या बनाने या सुधारने की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा अथवा खरीदेगा, बेचेगा, या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
170. भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना- जो कोई किसी डाई या उपकरण को भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह भारतीय सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, बनाएगा या सुधारेगा या बनाने या सुधारने की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा अथवा खरीदेगा, बेचेगा या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
171. सिक्के का कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना- जो कोई किसी उपकरण या सामग्री को सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह उस प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
यदि भारतीय सिक्का हो- और यदि कूटकरण किया जाने वाला सिक्का भारतीय सिक्का हो तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
172. भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरण- जो कोई भारत में होते हुए भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का दुष्प्रेरण करेगा, वह ऐसे दण्डित किया जाएगा, मानो उसने ऐसे सिक्के के कूटकरण का दुष्प्रेरण भारत में किया हो।
173. कूटकृत सिक्के का आयात या निर्यात- जो कोई किसी कूटकृत सिक्के को यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटकृत है, भारत में आयात करेगा, या भारत से निर्यात करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
174. भारतीय सिक्कें की कूटकृतियों का आयात या निर्यात- जो कोई किसी कूटकृत सिक्के को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह भारतीय सिक्के की कूटकृति है, भारत में आयात करेगा या भारत से निर्यात करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
175. सिक्के का परिदान, जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था- जो कोई अपने पास कोई ऐसा कूटकृत सिक्का होते हुए जिसे वह उस समय, जब वह उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह कूटकृत है, कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, उसे किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या किसी व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
176. भारतीय सिक्के का परिदान, जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था- जो कोई अपने पास कोई ऐसा कूटकृत सिक्का होते हुए, जो भारतीय सिक्के की कूटकृति हो और जिसे वह उस समय, जब वह उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह भारतीय सिक्के की कूटकृति है, कपटर्पूक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, उसे किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या किसी व्यक्ति को इसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
177. किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकृत होना नहीं जानता था– जो कोई किसी दूसरे व्यक्ति को ऐसा कूटकृत सिक्काए जिसका कूटकृत होना वह जानता हो, किन्तु जिसका वह उस समय, जब उसने उसे अपने कब्जे में लिया, कूटकृत होना नहीं जानता था, असली सिक्के के रूप में परिदान करेगा, या किसी दूसरे व्यक्ति को उसे असली सिक्के के रूप में लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या इतने जुर्माने से जो कूटकृत सिक्के के मूल्य के दस गुने तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
दृष्टांत
क, एक सिक्काकार, अपने सह-अपराधी ख को कूटकृत कम्पनी का रूपये चलाने के लिए परिदत्त करता है, ख उन रूपयों को सिक्का चलाने वाले एक दूसरे व्यक्ति ग को बेच देता है, जो उन्हे कूटकृत जानते हुए खरीदता है। ग उन रूपयों को घ को, जो उनको कूटकृत न जानते हुए प्राप्त करता है, माल के बदले देता है। घ को रूपये प्राप्त होने के पश्चात् यह पता चलता है कि वे रूपये कूटकृत हैं, और वह उनको इस प्रकार चलाता है मानो वे असली हों। यहाँ, घ केवल इस धारा के अधीन दण्डनीय है, किन्तु ख और गए यथास्थिति, धारा 239 या 240 के अधीन दण्डनीय हैं।
178. कूटकृत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकृत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था- जो कोई ऐसे कूटकृत सिक्के को, जिसे वह उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह कूटकृत है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
179. भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकृत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था- जो कोई ऐसे कूटकृत सिक्के को, जो भारतीय सिक्के की कूटकृति है और जिसे वह उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह भारतीय सिक्के की कूटकृति है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
180. टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के का उस वजन का या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत है- जो कोई भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी टकसाल में से नियोजित होते हुए इस आशय से कोई कार्य करेगा, या उस कार्य का लोप करेगा जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध हो कि उस टकसाल से प्रचलित कोई सिक्का विधि द्वारा नियत वजन या मिश्रण से भिन्न वजन या मिश्रण का कारित हो, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
181. टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरूद्ध रूप से लेना- जो कोई भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी टकसाल में से सिक्के बनाने के औजार या उपकरण को विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना बाहर निकाल लाएगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
182. कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना- जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से किसी सिक्के पर कोई ऐसी क्रिया करेगा, जिससे उस सिक्के का वजन कम हो जाए या उसका मिश्रण परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- वह व्यक्ति, जो सिक्के के किसी भाग को खुरच कर निकाल देता है, और उस गड्ढ़े में कोई अन्य वस्तु भर देता है, उस सिक्के का मिश्रण परिवर्तित करता है।
183. कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना- जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से किसी भारतीय सिक्के पर कोई ऐसी क्रिया करेगा, जिससे उस सिक्के का वजन कम हो जाए या उसका मिश्रण परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
184. इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए- जो कोई किसी सिक्के पर इस आशय से कि वह सिक्का, भिन्न प्रकार से सिक्के के रूप में चल जाएए कोई ऐसी क्रिया करेगा जिससे उस सिक्के का रूप परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
185. इस आशय से किसी भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए- जो कोई किसी सिक्के पर इस आशय से कि वह सिक्का, भिन्न प्रकार से सिक्के के रूप में चल जाए, कोई ऐसी क्रिया करेगा जिससे उस सिक्के का रूप परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
186. ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उस परिवर्तित किया गया है- जो कोई किसी ऐसे सिक्के को कब्जे में रखते हुए, जिसके बारे में धारा 246 या 249 में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जिसके बारे में उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, वह यह जानता था कि ऐसा अपराध उसके बारे में किया गया है किए कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, किसी अन्य व्यक्ति को वह सिक्का परिदत्त करेगा, या किसी अन्य व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
187. भारतीय सिक्के का परिदान जो इस बात के ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है- जो कोई किसी ऐसे सिक्के को कब्जे में रखते हुए, जिसके बारे में धारा 247 या 249 में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जिसके बारे में उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, वह यह जानता था कि ऐसा अपराध उसके बारे में किया गया है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, किसी अन्य व्यक्ति को वह सिक्का परिदत्त करेगा या किसी अन्य व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
188. ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, ऐसे सिक्के को कब्जे में रखेगा, जिसके बारे में धारा 246 या 248 में से किसी में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जो उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, यह जानता था कि उस सिक्के के बारे में ऐसा अपराध किया गया है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
189. ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाएए ऐसे सिक्के को कब्जे में रखेगा, जिसके बारे में धारा 247 या 249 में से किसी में परिभाषित अपराध किया गया हो और जो उस समय, जब यह सिक्का उसके कब्जे में आया था, यह जानता था कि उस सिक्के के बारे में ऐसा अपराध किया गया है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
190. सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदानए जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता था- जो कोई किसी दूसरे व्यक्ति को कोई सिक्का, जिसके बारे में वह जानता हो कि कोई ऐसी क्रिया जैसी धारा 246, 247, 248 या 249 में वर्णित है, ही जा चुकी है, किन्तु जिसके बारे में वह उस समय, जब उसे अपने कब्जे में लिया था, यह न जानता था कि उस पर ऐसी क्रिया कर दी गई है, असली के रूप में, या जिस प्रकार का वह है उससे भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में, किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या असली के रूप में, या जिस प्रकार का वह है उससे भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में, किसी व्यक्ति का उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या इतने जुर्माने से, जो उस सिक्के की कीमत के दस गुने तक का हो सकेगा जिसके बदले में परिवर्तित सिक्का चलाया गया हो या चलाने का प्रयत्न किया गया हो, दण्डित किया जाएगा।
191. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण- जो कोई सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प का कूटकरण करेगा या जानते हुए उसके कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- वह व्यक्ति इस अपराध को करता है, जो एक अभिधान के किसी असली स्टाम्प को भिन्न अभिधान के असली स्टाम्प के समान दिखाई देने वाला बनाकर कूटकरण करता है।
192. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री को कब्जे में रखना- जो कोई सरकार के द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह ऐसे कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, कोई उपकरण या सामग्री अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
193. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना– जो कोई, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचलित किसी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह ऐसे कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, कोई उपकरण बनाएगा या बनाने की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, या ऐसे किसी उपकरण को खरीदेगा या बेचेगा, या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
194. कूटकृत सरकारी स्टाम्प का विक्रय- जो कोई किसी स्टाम्प को यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए बेचेगा, या बेचने की प्रस्थापना करेगा कि वह सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचलित किसी स्टाम्प की कूटकृति है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
195. सरकारी कूटकृत स्टाम्प को कब्जे में रखना- जो कोई असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाने के या व्ययन करने के आशय से, या इसलिए कि वह असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाया जा सके, किसी ऐसे स्टाम्प को अपने कब्जे में रखेगा, जिसे वह जानता है कि सरकार द्वारा राजस्व प्रयोजन के लिए प्रचालित स्टाम्प की कूटकृति है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
196. किसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकृत जानते हुए उस असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाना– जो कोई किसी ऐसे स्टाम्प को, जिसे वह जानता है कि वह सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित स्टाम्प की कूटकृति है, असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाएगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
197. इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया है- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि सरकार को हानि कारित की जाए, किसी पदार्थ पर से, जिस पर सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचलित कोई स्टाम्प लगा हो, किसी लेख या दस्तावेज को, जिसके लिए ऐसा स्टाम्प उपयोग में लाया गया हो, हटाएगा या मिटाएगा या किसी लेख या दस्तावेज पर से उस लेख या दस्तावेज के लिए उपयोग में लाया गया स्टाम्प इसलिए हटाएगा कि ऐसे स्टाम्प किसी भिन्न लेख या दस्तावेज के लिए उपयोग में लाया जाए, दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
198. ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका है- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि सरकार को हानि कारित की जाए, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प को, जिसके बारे में वह जानता है कि वह स्टाम्प उससे पहले उपयोग में लाया जा चुका है, उसे किसी प्रयोजन के लिए उपयोग में लाएगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
199. स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह को छीलकर मिटाना- जो कोई कपटपूर्वक या इस आशय से कि सरकार को हानि कारित की जाए, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित स्टाम्प पर से उस चिन्ह को छीलकर मिटाएगा या हटाएगा, जो ऐसे स्टाम्प पर यह द्योतन करने के प्रयोजन से कि वह उपयोग में लाया जा चुका है, लगा हुआ या छापित हो या ऐसे किसी स्टाम्प को, जिस पर से ऐसा चिन्ह हटाया या मिटाया गया हो, जानते हुए अपने कब्जे में रखेगा या बेचेगा या व्ययनित करेगा, या ऐसे किसी स्टाम्प को, जिसे वह जानता है कि उपयोग में लाया जा चुका है, बेचेगा या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
263क. बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेध– (1) जो कोई किसी बनावटी स्टाम्प को-
(क) बनाएगा, जानते हुए चलाएगा, उसका व्यवहार करेगा या उसका विक्रय करेगा या उसे डाक सम्बन्धी किसी प्रयोजन के लिए जानते हुए उपयोग में लाएगा, अथवा
(ख) किसी विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना अपने कब्जे में रखेगा, अथवा
(ग) बनाने की किसी डाई, पट्टी, उपकरण या सामग्रियों को बनाएगा, या किसी विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना अपने कब्जे में रखेगा,
वह जुर्माने से, जो दो सौ रूपये तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा।
(2) कोई ऐसे स्टाम्प, कोई बनावटी स्टाम्प बनाने की डाई, पट्टी, उपकरण या सामग्रियाँ, जो किसी व्यक्ति के कब्जे में हो, अभिगृहित की जा सकेंगी और अभिगृहित की जाए तो समपहृत कर ली जाएगी।
(3) इस धारा में “बनावटी स्टाम्प” से ऐसी कोई स्टाम्प अभिप्रेत है, जिससे यह मिथ्या रूप में तात्पर्यित हो कि सरकार ने डाक महसूल की दर के द्योतन के प्रयोजन से उसे प्रचालित किया है या जो सरकार द्वारा उस प्र्रयोजन से प्रचलित किसी स्टाम्प की कागज पर या अन्यथा, अनुलिपि, अनुकृति या समरूपण हो।
(4) इस धारा में और धारा 255 से लेकर धारा 263 तक में भी, जिनमें ये दोनों धाराएँ भी समाविष्ट हैं “सरकार” शब्द के अन्तर्गत, जब भी वह डाक महसूल की दर के द्योतन के प्रयोजन से प्रचालित किए गए किसी स्टाम्प के संसर्ग या निर्देशन में उपयोग किया गया है, धारा 17 में किसी बात के होते हुए भी वह या वे व्यक्ति समझे जाएगे जो भारत के किसी भाग में और हर मजेस्टी की डोमिनियनों में किसी भाग में या किसी विदेश में भी कार्यपालिका सरकार का प्रशासन चलाने के लिए विधि द्वारा प्राधिकृत हो।
[संशोधन- 1895 के अधिनियम सं 3 की धारा 2 द्वारा जोड़ा गया।]
167. सिक्के का कूटकरण- जो कोई सिक्के का कूटकरण करेगा या जानते हुए सिक्के के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- जो कोई व्यक्ति असली सिक्के को किसी भिन्न सिक्के के जैसा दिखलाई देने वाला इस आशय से बनाता है कि प्रवंचना की जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए बनाता है कि एतद्द्वारा प्रवंचना की जाएगी, वह यह अपराध करता है।
168. भारतीय सिक्के का कूटकरण- जो कोई भारतीय सिक्के का कूटकरण करेगा या जानते हुए भारतीय सिक्के के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
169. सिक्के का कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना- जो कोई डाई या उपकरण को सिक्के के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, बनाएगा या सुधारेगा, या बनाने या सुधारने की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा अथवा खरीदेगा, बेचेगा, या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
170. भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना- जो कोई किसी डाई या उपकरण को भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह भारतीय सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, बनाएगा या सुधारेगा या बनाने या सुधारने की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा अथवा खरीदेगा, बेचेगा या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
171. सिक्के का कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना-जो कोई किसी उपकरण या सामग्री को सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह उस प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
यदि भारतीय सिक्का हो- और यदि कूटकरण किया जाने वाला सिक्का भारतीय सिक्का हो तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
172. भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरण- जो कोई भारत में होते हुए भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का दुष्प्रेरण करेगा, वह ऐसे दण्डित किया जाएगा, मानो उसने ऐसे सिक्के के कूटकरण का दुष्प्रेरण भारत में किया हो।
173. कूटकृत सिक्के का आयात या निर्यात- जो कोई किसी कूटकृत सिक्के को यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटकृत है, भारत में आयात करेगा, या भारत से निर्यात करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
174. भारतीय सिक्कें की कूटकृतियों का आयात या निर्यात- जो कोई किसी कूटकृत सिक्के को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह भारतीय सिक्के की कूटकृति है, भारत में आयात करेगा या भारत से निर्यात करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
175. सिक्के का परिदान, जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था- जो कोई अपने पास कोई ऐसा कूटकृत सिक्का होते हुए जिसे वह उस समय, जब वह उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह कूटकृत है, कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, उसे किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या किसी व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
176. भारतीय सिक्के का परिदानए जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था- जो कोई अपने पास कोई ऐसा कूटकृत सिक्का होते हुएए जो भारतीय सिक्के की कूटकृति हो और जिसे वह उस समय, जब वह उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह भारतीय सिक्के की कूटकृति है, कपटर्पूकए या इस आशय से कि कपट किया जाए, उसे किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या किसी व्यक्ति को इसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
177. किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकृत होना नहीं जानता था- जो कोई किसी दूसरे व्यक्ति को ऐसा कूटकृत सिक्का, जिसका कूटकृत होना वह जानता हो, किन्तु जिसका वह उस समय, जब उसने उसे अपने कब्जे में लिया, कूटकृत होना नहीं जानता था, असली सिक्के के रूप में परिदान करेगा, या किसी दूसरे व्यक्ति को उसे असली सिक्के के रूप में लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या इतने जुर्माने से जो कूटकृत सिक्के के मूल्य के दस गुने तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
दृष्टांत
क, एक सिक्काकार, अपने सह-अपराधी ख को कूटकृत कम्पनी का रूपये चलाने के लिए परिदत्त करता है, ख उन रूपयों को सिक्का चलाने वाले एक दूसरे व्यक्ति ग को बेच देता है, जो उन्हे कूटकृत जानते हुए खरीदता है। ग उन रूपयों को घ को, जो उनको कूटकृत न जानते हुए प्राप्त करता है, माल के बदले देता है। घ को रूपये प्राप्त होने के पश्चात् यह पता चलता है कि वे रूपये कूटकृत हैं, और वह उनको इस प्रकार चलाता है मानो वे असली हों। यहाँ, घ केवल इस धारा के अधीन दण्डनीय है, किन्तु ख और गए यथास्थिति, धारा 239 या 240 के अधीन दण्डनीय हैं।
178. कूटकृत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकृत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था- जो कोई ऐसे कूटकृत सिक्के को, जिसे वह उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह कूटकृत है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
179. भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकृत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था- जो कोई ऐसे कूटकृत सिक्के को, जो भारतीय सिक्के की कूटकृति है और जिसे वह उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह भारतीय सिक्के की कूटकृति है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
180. टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के का उस वजन का या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत है- जो कोई भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी टकसाल में से नियोजित होते हुए इस आशय से कोई कार्य करेगा, या उस कार्य का लोप करेगा, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध हो कि उस टकसाल से प्रचलित कोई सिक्का विधि द्वारा नियत वजन या मिश्रण से भिन्न वजन या मिश्रण का कारित हो, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
181. टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरूद्ध रूप से लेना- जो कोई भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी टकसाल में से सिक्के बनाने के औजार या उपकरण को विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना बाहर निकाल लाएगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
182. कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना- जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से किसी सिक्के पर कोई ऐसी क्रिया करेगा, जिससे उस सिक्के का वजन कम हो जाए या उसका मिश्रण परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- वह व्यक्ति, जो सिक्के के किसी भाग को खुरच कर निकाल देता है, और उस गड्ढ़े में कोई अन्य वस्तु भर देता है, उस सिक्के का मिश्रण परिवर्तित करता है।
183. कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना- जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से किसी भारतीय सिक्के पर कोई ऐसी क्रिया करेगा, जिससे उस सिक्के का वजन कम हो जाए या उसका मिश्रण परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
184. इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए- जो कोई किसी सिक्के पर इस आशय से कि वह सिक्का, भिन्न प्रकार से सिक्के के रूप में चल जाए, कोई ऐसी क्रिया करेगा जिससे उस सिक्के का रूप परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
185. इस आशय से किसी भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए- जो कोई किसी सिक्के पर इस आशय से कि वह सिक्का, भिन्न प्रकार से सिक्के के रूप में चल जाए, कोई ऐसी क्रिया करेगा जिससे उस सिक्के का रूप परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
186. ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उस परिवर्तित किया गया है- जो कोई किसी ऐसे सिक्के को कब्जे में रखते हुए, जिसके बारे में धारा 246 या 249 में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जिसके बारे में उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, वह यह जानता था कि ऐसा अपराध उसके बारे में किया गया है कि कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, किसी अन्य व्यक्ति को वह सिक्का परिदत्त करेगा, या किसी अन्य व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
187. भारतीय सिक्के का परिदान जो इस बात के ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है- जो कोई किसी ऐसे सिक्के को कब्जे में रखते हुए, जिसके बारे में धारा 247 या 249 में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जिसके बारे में उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, वह यह जानता था कि ऐसा अपराध उसके बारे में किया गया है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, किसी अन्य व्यक्ति को वह सिक्का परिदत्त करेगा या किसी अन्य व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
188. ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाएए ऐसे सिक्के को कब्जे में रखेगा, जिसके बारे में धारा 246 या 248 में से किसी में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जो उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, यह जानता था कि उस सिक्के के बारे में ऐसा अपराध किया गया है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
189. ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, ऐसे सिक्के को कब्जे में रखेगा, जिसके बारे में धारा 247 या 249 में से किसी में परिभाषित अपराध किया गया हो और जो उस समय, जब यह सिक्का उसके कब्जे में आया था, यह जानता था कि उस सिक्के के बारे में ऐसा अपराध किया गया है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
190. सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता था- जो कोई किसी दूसरे व्यक्ति को कोई सिक्का, जिसके बारे में वह जानता हो कि कोई ऐसी क्रिया जैसी धारा 246, 247, 248 या 249 में वर्णित है, ही जा चुकी है, किन्तु जिसके बारे में वह उस समय, जब उसे अपने कब्जे में लिया था, यह न जानता था कि उस पर ऐसी क्रिया कर दी गई है, असली के रूप में, या जिस प्रकार का वह है उससे भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में, किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या असली के रूप में, या जिस प्रकार का वह है उससे भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में, किसी व्यक्ति का उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या इतने जुर्माने से, जो उस सिक्के की कीमत के दस गुने तक का हो सकेगा जिसके बदले में परिवर्तित सिक्का चलाया गया हो या चलाने का प्रयत्न किया गया हो, दण्डित किया जाएगा।
191. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण- जो कोई सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प का कूटकरण करेगा या जानते हुए उसके कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- वह व्यक्ति इस अपराध को करता है, जो एक अभिधान के किसी असली स्टाम्प को भिन्न अभिधान के असली स्टाम्प के समान दिखाई देने वाला बनाकर कूटकरण करता है।
192. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री को कब्जे में रखना- जो कोई सरकार के द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह ऐसे कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, कोई उपकरण या सामग्री अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
193. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना- जो कोई, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचलित किसी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह ऐसे कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, कोई उपकरण बनाएगा या बनाने की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, या ऐसे किसी उपकरण को खरीदेगा या बेचेगा, या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
194. कूटकृत सरकारी स्टाम्प का विक्रय- जो कोई किसी स्टाम्प को यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए बेचेगा, या बेचने की प्रस्थापना करेगा कि वह सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचलित किसी स्टाम्प की कूटकृति है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
195. सरकारी कूटकृत स्टाम्प को कब्जे में रखना- जो कोई असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाने के या व्ययन करने के आशय से, या इसलिए कि वह असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाया जा सके, किसी ऐसे स्टाम्प को अपने कब्जे में रखेगा, जिसे वह जानता है कि सरकार द्वारा राजस्व प्रयोजन के लिए प्रचालित स्टाम्प की कूटकृति है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
196. किसी सरकारी स्टाम्प कोए कूटकृत जानते हुए उस असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाना- जो कोई किसी ऐसे स्टाम्प कोए जिसे वह जानता है कि वह सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित स्टाम्प की कूटकृति है, असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाएगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
197. इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है, लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया है- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि सरकार को हानि कारित की जाए, किसी पदार्थ पर से, जिस पर सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचलित कोई स्टाम्प लगा हो, किसी लेख या दस्तावेज को, जिसके लिए ऐसा स्टाम्प उपयोग में लाया गया हो, हटाएगा या मिटाएगा या किसी लेख या दस्तावेज पर से उस लेख या दस्तावेज के लिए उपयोग में लाया गया स्टाम्प इसलिए हटाएगा कि ऐसे स्टाम्प किसी भिन्न लेख या दस्तावेज के लिए उपयोग में लाया जाए, दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
198. ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका है- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि सरकार को हानि कारित की जाए, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प को, जिसके बारे में वह जानता है कि वह स्टाम्प उससे पहले उपयोग में लाया जा चुका है, उसे किसी प्रयोजन के लिए उपयोग में लाएगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
199. स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह को छीलकर मिटाना- जो कोई कपटपूर्वक या इस आशय से कि सरकार को हानि कारित की जाए, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित स्टाम्प पर से उस चिन्ह को छीलकर मिटाएगा या हटाएगा, जो ऐसे स्टाम्प पर यह द्योतन करने के प्रयोजन से कि वह उपयोग में लाया जा चुका है, लगा हुआ या छापित हो या ऐसे किसी स्टाम्प को, जिस पर से ऐसा चिन्ह हटाया या मिटाया गया हो, जानते हुए अपने कब्जे में रखेगा या बेचेगा या व्ययनित करेगा, या ऐसे किसी स्टाम्प को, जिसे वह जानता है कि उपयोग में लाया जा चुका है, बेचेगा या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
263क. बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेध- (1) जो कोई किसी बनावटी स्टाम्प को-
(क) बनाएगा, जानते हुए चलाएगा, उसका व्यवहार करेगा या उसका विक्रय करेगा या उसे डाक सम्बन्धी किसी प्रयोजन के लिए जानते हुए उपयोग में लाएगा, अथवा
(ख) किसी विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना अपने कब्जे में रखेगा; अथवा
(ग) बनाने की किसी डाई, पट्टी, उपकरण या सामग्रियों को बनाएगा, या किसी विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना अपने कब्जे में रखेगा;
वह जुर्माने से, जो दो सौ रूपये तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा।
(2) कोई ऐसे स्टाम्प, कोई बनावटी स्टाम्प बनाने की डाई, पट्टी, उपकरण या सामग्रियाँ, जो किसी व्यक्ति के कब्जे में हो, अभिगृहित की जा सकेंगी और अभिगृहित की जाए तो समपहृत कर ली जाएगी।
(3) इस धारा में “बनावटी स्टाम्प” से ऐसी कोई स्टाम्प अभिप्रेत है, जिससे यह मिथ्या रूप में तात्पर्यित हो कि सरकार ने डाक महसूल की दर के द्योतन के प्रयोजन से उसे प्रचालित किया है या जो सरकार द्वारा उस प्रयोजन से प्रचलित किसी स्टाम्प की, कागज पर या अन्यथा, अनुलिपि, अनुकृति या समरूपण हो।
(4) इस धारा में और धारा 255 से लेकर धारा 263 तक में भी, जिनमें ये दोनों धाराएँ भी समाविष्ट हैं “सरकार” शब्द के अन्तर्गत, जब भी वह डाक महसूल की दर के द्योतन के प्रयोजन से प्रचालित किए गए किसी स्टाम्प के संसर्ग या निर्देशन में उपयोग किया गया है, धारा 17 में किसी बात के होते हुए भी वह या वे व्यक्ति समझे जाएगे जो भारत के किसी भाग में और हर मजेस्टी की डोमिनियनों में किसी भाग में या किसी विदेश में भी कार्यपालिका सरकार का प्रशासन चलाने के लिए विधि द्वारा प्राधिकृत हो।
[संशोधन- 1895 के अधिनियम सं 3 की धारा 2 द्वारा जोड़ा गया।]
167. सिक्के का कूटकरण- जो कोई सिक्के का कूटकरण करेगा या जानते हुए सिक्के के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- जो कोई व्यक्ति असली सिक्के को किसी भिन्न सिक्के के जैसा दिखलाई देने वाला इस आशय से बनाता है कि प्रवंचना की जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए बनाता है कि एतद्द्वारा प्रवंचना की जाएगी, वह यह अपराध करता है।
168. भारतीय सिक्के का कूटकरण- जो कोई भारतीय सिक्के का कूटकरण करेगा या जानते हुए भारतीय सिक्के के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
169. सिक्के का कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना- जो कोई डाई या उपकरण को सिक्के के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, बनाएगा या सुधारेगा, या बनाने या सुधारने की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा अथवा खरीदेगा, बेचेगा, या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
170. भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना- जो कोई किसी डाई या उपकरण को भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह भारतीय सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, बनाएगा या सुधारेगा या बनाने या सुधारने की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा अथवा खरीदेगा, बेचेगा या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
171. सिक्के का कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना-जो कोई किसी उपकरण या सामग्री को सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह उस प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
यदि भारतीय सिक्का हो- और यदि कूटकरण किया जाने वाला सिक्का भारतीय सिक्का हो तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
172. भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरण- जो कोई भारत में होते हुए भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का दुष्प्रेरण करेगा, वह ऐसे दण्डित किया जाएगा, मानो उसने ऐसे सिक्के के कूटकरण का दुष्प्रेरण भारत में किया हो।
173. कूटकृत सिक्के का आयात या निर्यात- जो कोई किसी कूटकृत सिक्के को यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटकृत है, भारत में आयात करेगा, या भारत से निर्यात करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
174. भारतीय सिक्कें की कूटकृतियों का आयात या निर्यात- जो कोई किसी कूटकृत सिक्के को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह भारतीय सिक्के की कूटकृति है, भारत में आयात करेगा या भारत से निर्यात करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
175. सिक्के का परिदान, जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था- जो कोई अपने पास कोई ऐसा कूटकृत सिक्का होते हुए जिसे वह उस समय, जब वह उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह कूटकृत है, कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, उसे किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या किसी व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
176. भारतीय सिक्के का परिदान, जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था- जो कोई अपने पास कोई ऐसा कूटकृत सिक्का होते हुए, जो भारतीय सिक्के की कूटकृति हो और जिसे वह उस समय, जब वह उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह भारतीय सिक्के की कूटकृति है, कपटर्पूक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, उसे किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या किसी व्यक्ति को इसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
177. किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकृत होना नहीं जानता था- जो कोई किसी दूसरे व्यक्ति को ऐसा कूटकृत सिक्का, जिसका कूटकृत होना वह जानता हो, किन्तु जिसका वह उस समय, जब उसने उसे अपने कब्जे में लिया, कूटकृत होना नहीं जानता था, असली सिक्के के रूप में परिदान करेगा, या किसी दूसरे व्यक्ति को उसे असली सिक्के के रूप में लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या इतने जुर्माने से जो कूटकृत सिक्के के मूल्य के दस गुने तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
दृष्टांत
क, एक सिक्काकार, अपने सह-अपराधी ख को कूटकृत कम्पनी का रूपये चलाने के लिए परिदत्त करता है, ख उन रूपयों को सिक्का चलाने वाले एक दूसरे व्यक्ति ग को बेच देता है, जो उन्हे कूटकृत जानते हुए खरीदता है। ग उन रूपयों को घ को, जो उनको कूटकृत न जानते हुए प्राप्त करता है, माल के बदले देता है। घ को रूपये प्राप्त होने के पश्चात् यह पता चलता है कि वे रूपये कूटकृत हैं, और वह उनको इस प्रकार चलाता है मानो वे असली हों। यहाँ, घ केवल इस धारा के अधीन दण्डनीय है, किन्तु ख और गए यथास्थिति, धारा 239 या 240 के अधीन दण्डनीय हैं।
178. कूटकृत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकृत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था- जो कोई ऐसे कूटकृत सिक्के को, जिसे वह उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह कूटकृत है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
179. भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकृत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था- जो कोई ऐसे कूटकृत सिक्के को, जो भारतीय सिक्के की कूटकृति है और जिसे वह उस समयए जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह भारतीय सिक्के की कूटकृति है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
180. टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के का उस वजन का या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत है- जो कोई भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी टकसाल में से नियोजित होते हुए इस आशय से कोई कार्य करेगा, या उस कार्य का लोप करेगा, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध हो कि उस टकसाल से प्रचलित कोई सिक्का विधि द्वारा नियत वजन या मिश्रण से भिन्न वजन या मिश्रण का कारित हो, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
181. टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरूद्ध रूप से लेना- जो कोई भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी टकसाल में से सिक्के बनाने के औजार या उपकरण को विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना बाहर निकाल लाएगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
182. कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना- जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से किसी सिक्के पर कोई ऐसी क्रिया करेगा, जिससे उस सिक्के का वजन कम हो जाए या उसका मिश्रण परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- वह व्यक्ति, जो सिक्के के किसी भाग को खुरच कर निकाल देता है, और उस गड्ढ़े में कोई अन्य वस्तु भर देता है, उस सिक्के का मिश्रण परिवर्तित करता है।
183. कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना- जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से किसी भारतीय सिक्के पर कोई ऐसी क्रिया करेगा, जिससे उस सिक्के का वजन कम हो जाए या उसका मिश्रण परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
184. इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए- जो कोई किसी सिक्के पर इस आशय से कि वह सिक्का, भिन्न प्रकार से सिक्के के रूप में चल जाए, कोई ऐसी क्रिया करेगा जिससे उस सिक्के का रूप परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
185. इस आशय से किसी भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए- जो कोई किसी सिक्के पर इस आशय से कि वह सिक्का, भिन्न प्रकार से सिक्के के रूप में चल जाए, कोई ऐसी क्रिया करेगा जिससे उस सिक्के का रूप परिवर्तित हो जाए, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
186. ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उस परिवर्तित किया गया है- जो कोई किसी ऐसे सिक्के को कब्जे में रखते हुए, जिसके बारे में धारा 246 या 249 में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जिसके बारे में उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, वह यह जानता था कि ऐसा अपराध उसके बारे में किया गया है किए कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, किसी अन्य व्यक्ति को वह सिक्का परिदत्त करेगा, या किसी अन्य व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
187. भारतीय सिक्के का परिदान जो इस बात के ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है- जो कोई किसी ऐसे सिक्के को कब्जे में रखते हुए, जिसके बारे में धारा 247 या 249 में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जिसके बारे में उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, वह यह जानता था कि ऐसा अपराध उसके बारे में किया गया है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, किसी अन्य व्यक्ति को वह सिक्का परिदत्त करेगा या किसी अन्य व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
188. ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, ऐसे सिक्के को कब्जे में रखेगा, जिसके बारे में धारा 246 या 248 में से किसी में परिभाषित अपराध किया गया हो, और जो उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, यह जानता था कि उस सिक्के के बारे में ऐसा अपराध किया गया है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
189. ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि कपट किया जाए, ऐसे सिक्के को कब्जे में रखेगा, जिसके बारे में धारा 247 या 249 में से किसी में परिभाषित अपराध किया गया हो और जो उस समय, जब यह सिक्का उसके कब्जे में आया था, यह जानता था कि उस सिक्के के बारे में ऐसा अपराध किया गया है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
190. सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था परिवर्तित होना नहीं जानता था- जो कोई किसी दूसरे व्यक्ति को कोई सिक्का, जिसके बारे में वह जानता हो कि कोई ऐसी क्रिया जैसी धारा 246, 247, 248 या 249 में वर्णित है, ही जा चुकी है, किन्तु जिसके बारे में वह उस समय, जब उसे अपने कब्जे में लिया था, यह न जानता था कि उस पर ऐसी क्रिया कर दी गई है, असली के रूप में, या जिस प्रकार का वह है उससे भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में, किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा या असली के रूप में, या जिस प्रकार का वह है उससे भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में, किसी व्यक्ति का उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या इतने जुर्माने से, जो उस सिक्के की कीमत के दस गुने तक का हो सकेगा जिसके बदले में परिवर्तित सिक्का चलाया गया हो या चलाने का प्रयत्न किया गया हो, दण्डित किया जाएगा।
191. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण- जो कोई सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प का कूटकरण करेगा या जानते हुए उसके कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- वह व्यक्ति इस अपराध को करता है, जो एक अभिधान के किसी असली स्टाम्प को भिन्न अभिधान के असली स्टाम्प के समान दिखाई देने वाला बनाकर कूटकरण करता है।
192. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री को कब्जे में रखना- जो कोई सरकार के द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह ऐसे कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, कोई उपकरण या सामग्री अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
193. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना- जो कोई, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचलित किसी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह ऐसे कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, कोई उपकरण बनाएगा या बनाने की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, या ऐसे किसी उपकरण को खरीदेगा या बेचेगा, या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
194. कूटकृत सरकारी स्टाम्प का विक्रय- जो कोई किसी स्टाम्प को यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए बेचेगा, या बेचने की प्रस्थापना करेगा कि वह सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचलित किसी स्टाम्प की कूटकृति है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
195. सरकारी कूटकृत स्टाम्प को कब्जे में रखना- जो कोई असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाने के या व्ययन करने के आशय से, या इसलिए कि वह असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाया जा सके, किसी ऐसे स्टाम्प को अपने कब्जे में रखेगा, जिसे वह जानता है कि सरकार द्वारा राजस्व प्रयोजन के लिए प्रचालित स्टाम्प की कूटकृति है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
196. किसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकृत जानते हुए उस असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाना- जो कोई किसी ऐसे स्टाम्प को, जिसे वह जानता है कि वह सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित स्टाम्प की कूटकृति है, असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाएगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
197. इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है, लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया है- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि सरकार को हानि कारित की जाए, किसी पदार्थ पर से, जिस पर सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचलित कोई स्टाम्प लगा हो, किसी लेख या दस्तावेज को, जिसके लिए ऐसा स्टाम्प उपयोग में लाया गया हो, हटाएगा या मिटाएगा या किसी लेख या दस्तावेज पर से उस लेख या दस्तावेज के लिए उपयोग में लाया गया स्टाम्प इसलिए हटाएगा कि ऐसे स्टाम्प किसी भिन्न लेख या दस्तावेज के लिए उपयोग में लाया जाए, दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
198. ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका है- जो कोई कपटपूर्वक, या इस आशय से कि सरकार को हानि कारित की जाए, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प को, जिसके बारे में वह जानता है कि वह स्टाम्प उससे पहले उपयोग में लाया जा चुका है, उसे किसी प्रयोजन के लिए उपयोग में लाएगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
199. स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह को छीलकर मिटाना- जो कोई कपटपूर्वक या इस आशय से कि सरकार को हानि कारित की जाए, सरकार द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित स्टाम्प पर से उस चिन्ह को छीलकर मिटाएगा या हटाएगा, जो ऐसे स्टाम्प पर यह द्योतन करने के प्रयोजन से कि वह उपयोग में लाया जा चुका है, लगा हुआ या छापित हो या ऐसे किसी स्टाम्प को, जिस पर से ऐसा चिन्ह हटाया या मिटाया गया हो, जानते हुए अपने कब्जे में रखेगा या बेचेगा या व्ययनित करेगा, या ऐसे किसी स्टाम्प को, जिसे वह जानता है कि उपयोग में लाया जा चुका है, बेचेगा या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
263क. बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेध- (1) जो कोई किसी बनावटी स्टाम्प को-
(क) बनाएगा, जानते हुए चलाएगा, उसका व्यवहार करेगा या उसका विक्रय करेगा या उसे डाक सम्बन्धी किसी प्रयोजन के लिए जानते हुए उपयोग में लाएगा; अथवा
(ख) किसी विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना अपने कब्जे में रखेगा; अथवा
(ग) बनाने की किसी डाई, पट्टी, उपकरण या सामग्रियों को बनाएगा, या किसी विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना अपने कब्जे में रखेगा;
वह जुर्माने से, जो दो सौ रूपये तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा।
(2) कोई ऐसे स्टाम्प, कोई बनावटी स्टाम्प बनाने की डाई, पट्टीए उपकरण या सामग्रियाँ, जो किसी व्यक्ति के कब्जे में हो, अभिगृहित की जा सकेंगी और अभिगृहित की जाए तो समपहृत कर ली जाएगी।
(3) इस धारा में “बनावटी स्टाम्प” से ऐसी कोई स्टाम्प अभिप्रेत है, जिससे यह मिथ्या रूप में तात्पर्यित हो कि सरकार ने डाक महसूल की दर के द्योतन के प्रयोजन से उसे प्रचालित किया है या जो सरकार द्वारा उस प्रयोजन से प्रचलित किसी स्टाम्प की, कागज पर या अन्यथा, अनुलिपि, अनुकृति या समरूपण हो।
(4) इस धारा में और धारा 255 से लेकर धारा 263 तक में भी, जिनमें ये दोनों धाराएँ भी समाविष्ट हैं “सरकार” शब्द के अन्तर्गत, जब भी वह डाक महसूल की दर के द्योतन के प्रयोजन से प्रचालित किए गए किसी स्टाम्प के संसर्ग या निर्देशन में उपयोग किया गया है, धारा 17 में किसी बात के होते हुए भी वह या वे व्यक्ति समझे जाएगे जो भारत के किसी भाग में और हर मजेस्टी की डोमिनियनों में किसी भाग में या किसी विदेश में भी कार्यपालिका सरकार का प्रशासन चलाने के लिए विधि द्वारा प्राधिकृत हो।
8 thoughts on “सिक्कों और सरकारी स्टाम्पों से सम्बन्धित अपराधों के विषय में (सेक्शन 230-263क)- अध्याय 12”
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